उत्तर प्रदेश के कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों की निर्मम ह्त्या करने वाला दुर्दांत अपराधी जैसे ही पुलिस एनकाउंटर में मारा गया, न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश में इसका जोरदार स्वागत किया गया. लोगों ने उत्तर प्रदेश के जांबाज जवानों तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से ही अपराधीकरण के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने वाले योगी आदित्यनाथ की जमकर सराहना की. लोगों ने एक सुर में कहा कि विकास दुबे समाज का दुश्मन था, हत्यारा था तथा ऐसे व्यक्ति को जीवित रहने का कोई अधिकार नहीं है.
लेकिन इसके बाद जो खेल शुरू हुआ, उससे देश चौंक गया. विकास दुबे एनकाउंटर के बाद अचानक से कुछ लोगों द्वारा फायरब्रांड हिंदू राष्ट्रवादी नेता तथा उत्तर प्रदेश के भगवाधारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ब्राह्मण विरोधी बताया जाने लगा, जिसमें कुछ आम ब्राह्मण युवा भी फंस गए. विकास दुबे एनकाउंटर के कारण सोशल मीडिया पर 2022 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनावों में योगी आदित्यनाथ को हराने की बात कही जाने लगी, लेकिन ये प्रोपगेंडा सफल नहीं हुआ तथा योगी के खिलाफ अभियान चलाने वालों को हिन्दुओं की संगठित शक्ति ने बेनकाब कर दिया.
लेकिन जिस तरह से सीएम योगी को ब्राह्मण विरोधी बताया गया, उससे उन्हें दुःख तो जरूर हुआ होगा. योगी आदित्यनाथ को ब्राह्मण विरोधी बताने से पहले ये जान लेना चाहिए कि आखिर योगी आदित्यनाथ हैं क्या? अब मैं आपको जो बताने जा रहा हूँ, निवेदन है कि आप इसे ध्यानपूर्वक जरूर सुनें. हाँ मैं ही योगी हूँ….. वही योगी जिसने खुद अपने जीते जी खुद से अपना क्रियाकर्म मतलब अंत्येष्टि कर ली है, अपने लिए नहीं बल्कि अपने समाज के लिए, अपने राष्ट्र के लिए, अपने सनातन हिंदू धर्म के लिए, संपूर्ण विश्व ब्राह्मण में सनातन की गौरवशाली भगवा पताका फहराने के लिए.
हाँ मैं वही योगी हूँ..वही योगी जो उत्तर प्रदेश का मुखिया होने के बावजूद न अपने पिताजी की अर्थी को कंधा दे सका और न ही उनके अंतिम दर्शन कर सका, सिर्फ इसलिए ताकि मैं अपने उत्तर प्रदेश की जनता की बिना थके बिना रुके, सेवा कर सकूं . हाँ मैं वही योगी हूं वही योगी जिसने कोरोना जैसे संकट में एक बार भी अपनी जान की परवाह न करते हुए अपने समाज के लिए दिन रात एक कर दिया बगैर कोई जाति या महजब देखे.. इस दौरान न सिर्फ मैं लोगों से मिलता रहा बल्कि लगातार अस्पतालों के दौरे भी करता रहा ताकि मेरे यूपी की जनता के इलाज में कोई कमी न रह जाए.
हाँ मैं वही योगी हूँ, हवही योगी जो भरी सदन में कश्मीरी पंडितों के लिए सालों से अकेले लड़ता चला आ रहा है उनके अधिकार और सम्मान के लिए. हाँ मैं वही योगी हूँ, वही योगी जिसने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठते ही बगैर एक क्षण विलम्ब किये हिंदुओ के ऊपर हुए अत्याचार का हिसाब लिया बगैर किसी की जाति देखे। मेरे लिएजातिनहींबल्किमेरा धर्म मायने रखता है, सनातन मायने रखता है, हिंदुत्व मायने रखता है. अफ़सोस इसके बाद भी मुझे ब्राह्मण विरोधी बताया गया.
हाँ मैं वही योगी हूँ, वही योगी जिसने वर्षों से चले आ रहे मुगलों के दिये गए नाम को बदलकर आपके शहर का सम्मान आपको फिर से स्थापित करके दिया, इसके लिए मेरी जमकर आलोचना की गई, मुझ पर तरह तरह के आरोप लगाए गए लेकिन मैं इससे विचलित नहीं हुआ तथा अपने फैसले पर अडिग रहा तथा उत्तर प्रदेश से क्रूर मुगलिया नेस्तानाबूद करने को कार्य करता रहा.
हाँ मैं वही योगी हूँ, वही योगी जिसने आपकी कांवड़ यात्रा जो कि बन्द होने के कगार पर थी, न बाजा और न ही गाना बजा सकते थे. मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद एलान किया कि कांवड़ यात्रा में बाजा बजेगा, डीजे बजेगा तथा जोर शोर से बजेगा। मैंने पुराने दौर को बदलकर आप पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा करवाई, इस दौरान मैंने कोई जाति नहीं देखी थी बल्कि मैंने भगवा वस्त्र पहने भोले के भक्त कांवड़िया देखे थे. जहाँ जहाँ से कांवड़िया गुजरे, उन पर सरकार की तरफ से फूल बरसाए गए, अफ़सोस इसके बाद भी मुझे मेरे ही लोगों ने ब्राह्मण विरोधी बताया।
हां मैं वही योगी हूँ, वही योगी जिसने लाठीचार्ज की जगह कुंभ मेले में बगैर जाति देखे सबके पांव पखारे और पुष्पवर्षा कर सबका अभिवादन व अभिनंदन किया। हाँ मैं वही योगी हूँ, वही योगी जिसने नर्तकियों का नाच न कराके होली, दशहरा, दीपावली जैसे हिंदुओ के पावन त्यौहारों पर तुष्टीकरण की राजनीति को ख़त्म किया तथा धूमधाम से ये त्यौहार मनाने की छूट दी. मैं वही योगी हों जिसने प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में भव्य दीपोस्तव का आयोजन कराया, ब्रज में धूमधाम से होली मनाई, काशी में भव्यता के साथ देव दीपावली मनाई। इस दौरान मैंने किसी की जाति नहीं बल्कि अपना धर्म देखा था, सनातन देखा था, हिंदुत्व देखा था, अफ़सोस फिर भी मुख्य ब्राह्मण विरोधी बताया गया.
हां मैं वही योगी हूँ, वही योगी जिसने बगैर जाति मजहब देखें अपराधियों को सबक सिखाया, बहन बेटियों की इज्जत के साथ खेलने वालों को सीधा यमलोक के द्वार पहुंचाया। गरीब, बेबस, बेसहारा जनता को सहारा दिया और जिन अपराधियों के बारे में लोग सोचते थे कि कोई भी सरकार इनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी, उनको आज जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया, उनको जमीन सूंघने पर मजबूर कर दिया।
और आजम खां का नाम तो आपने सुना ही होगा। वही आजम खां को एक समय सत्ता को अपने अब्बू की जागीर समझता था, संविधान को अपने इशारे पर नचाते हुए आम जनता को प्रताड़ित करता था, लोगों की जमीनों पर कब्जा करता था. वही आजम खां जिसकी भैंसों को ढूंढने के लिए पूरा प्रशासनिक अमला लगा दिया गया था, आज उसी आजम खां को मैंने जेल की सलाखों के पीछे दाल दिया है, मैं वही योगी हूँ. वही योगी जिसने आजम खान को अकेले नहीं बल्कि उसके बेटे व बीवी के साथ जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया है तथा एक साम्य शासन तथा प्रशासन को अपना गुलाम समझने वाला आजम खान कोर्ट से कहता है कि योगी की पुलिस उसे ठीक से पेशाब तक नहीं करने देती है.
और हाँ मैं वही योगी हूँ, वही योगी, जिसने सांसद रहने के दौरान 2005 में सत्ता का संरक्षण पाए दुर्दांत अपराधी मुख्तार अंसारी को मऊ में उसके घर में घुसकर ललकारा तथा दंगों से हिन्दुओं को बचाया था. 2005 में मऊ में हिन्दू विरोधी दंगों के दौरान खुली जीप में गन लहराते हुए मुख्तार अंसारी की फोटो सभी ने देखी थी. मुलायम सरकार मुख्तार को रोक नहीं पा रही थी. बीजेपी न राज्य में मजबूत थी न केंद्र में.. हिन्दुओं पर जमकर कहर ढहाया जा रहा था, उस समय मैं अकेला ही मऊ के लिए निकल पड़ा था. बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने मुझे समझाया था कि मुख्तार तुम्हारी जान भी ले सकता है, लेकिन इसके बाद भी मैं अकेला ही मऊ गया. मऊ पहुँचते पहुँचते मेरे साथ सैकड़ों गाड़ियों का काफिला हो गया. इसके बाद मुलायम सरकार एक्टिव हुई तथा हिन्दुओं के खिलाफ दंगे रोके जा सके.
अब मुझ पर आरोप लगाया जा रहा है कि मैंने ब्राह्मण दुबे को मरवा दिया। लेकिन इस एनकाउंटर में वो विकास दुबे मारा गया है, जिसने ब्राह्मण संतोष शुक्ला को मारा था, जिसने ब्राह्मण प्रिंसिपल पांडेय को मारा था, जिसने ब्राह्मण उद्योगपति दुबे को मारा था, जिसने ब्राह्मण विनय तिवारी के ससुर की जमीन पर कब्जा किया, जिसके बाद रेड मारने गई पुलिस टीम पर हमला किया, जिसमें ब्राह्मण CO देवेंद्र मिश्रा सहित 8 पुलिसकर्मियों की ह्त्या की, STF के एनकाउंटर में यही विकास दुबे मारा गया है.
मेरी ही सरकार के दौरान दुर्दांत अपराधी मुन्ना बजरंगी मारा गया तो मैं ठाकुर विरोधी हो गया. इनामी पन्ना यादव् मारा गया तो मैं यादव विरोधी हो गया. दुर्दांत अपराधी दीपक गुप्ता मारा गया तो मैं बनिया विरोधी हो गया. बबली गैंग का खात्मा हुआ तो मैं पिछड़ा विरोधी हो गया. मैंने CAA विरोध के नाम पर हिंसा तथा आगजनी करने वालों पर जमकर लट्ठ बरसाए तथा उनकी संपत्तियां जब्त की तो मैं अल्पसंख्यक विरोधी हो गया. मैंने जातिगत जहर घोलने वाले भीम आर्मी के चंद्रशेखर उर्फ़ रावण पर NSA लगाया तो मैं दलित विरोधी हो गया.
जबकि सच तो ये है कि अपराधी, अतिवादियों, जनता के दुश्मनं का खत्मा किया है. मेरी सरकार आने के बाद से सैकड़ों अपराधी एनकाउंटर में मारे गए हैं, जिसमें हर जाती मजहब के लोग शामिल हैं. मेरे लिए जाति या मजहब नहीं बल्कि कानून मायने रखता है तथा जो कानून से खिलवाड़ करेगा, फिर वह किसी भी जाती मजहब का हो, उसका उचित इलाज किया जाएगा। मैं वो योगी हूँ जिसने यूपी की सत्ता संभालते ही कह दिया था था कि अपराधी या तो अपराध छोड़ दें या यूपी छोड़ दें और अगर वो यूपी में रहकर अपराध जारी रखेंगे तो उन्हें वहीं भेजा जाएगा, जहाँ उनकी उचित जगह है. और मैं आगे भी अपनी इसी नीति पर काम करता रहूंगा, इसके लिए चाहे मेरी कितनी ही आलोचना हो, कितना ही विरोध क्यों न हो?