एक कहावत बचपन सुनते आ रहे थे लोग कहते थे की जितना नुकसान देश का मुगलों ने नहीं किया उतना नुकशान आधुनिक स्वघोषित संतो ने किया है और यह बात आज के परिदृश्य में सत्य साबित हो रही है। कुछ व्यावसायिक संत जो धर्म को व्यापार बना कर लोगों को अपने सनातन संस्कृति का ज्ञान न देकर पाश्चात्य संस्कृति को बढ़ावा दे रहे है या ये कह सकते है इस्लामिक फंडिंग द्वारा पोषित ये संत और साध्वियाँ इस्लामिक प्रचारक बन गए है।
हिंदुओं की दुकान से सामान खरीदा मुस्लिम महिलाओं ने तो बीच सड़क पर ही धमकाने लगे इस्लामिक कट्टरपंथी.. क्या यही है धर्मनिरपेक्षता?
इन्ही व्यसायिक संतो में एक नाम है मोरारी ये भगवान प्रभुराम की कथा करते है पहले इनका धार्मिक व्यवसाय थोड़ा कमजोर था तो ये सिर्फ राम कथा करते थे लेकिन जब से इनके ऊपर इस्लामिक फंडिंग की कृपा हुयी ये तब से अपने कथा में अल्लाह अल्लाह का गुणगान करते नजर आ रहे है। हालाँकि ये मोरारी का पहला कारनामा नहीं है इससे पहले ये हिन्दुओ के पैसे से हज़ भी कराते रहे है। अब आप लोग समझ गए होंगे कि आप किसके अनुयायी है। आपके मोरारी उनके अनुयायी है जो पूरा आर्यावर्त को इस्लामिक बना दिया। सावधान रहिये ऐसे ढोंगियों से कहीं ये स्लामिक स्लीपर सेल आपका भी धर्म भ्रस्ट कर सकते है।
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अब बात करेंगे चित्रलेखा कि ये वही चित्रलेखा है जो शादीशुदा होकर साध्वी का ढोंग रचती है। योगी राज श्री कृष्ण को नचनिया बताती है और व्यासपीठ कि मर्यादा को भूलकर व्यासपीठ का इस्लाम का प्रचार करती है। जहाँ तक धर्म कि बात किया जाय तो आज तक मुझे यही पता है कि धर्म केवल एक है और वह सत्य सनातन वैदिक धर्म है। बाकि या तो मजहब है या पंथ अथवा संप्रदाय है। लेकिन ये देवी जी इस्लाम को धर्म मानती है और अजान के समय अपने शिष्यों से निवेदन करती है कि तुम भी नमाज पढ़ो।
अब हम बात करेंगे चिन्मयानन्द बापू कि ( बापू सिर्फ समझने के लिए लिखा गया है ) इसकी नीचता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है की व्यासपीठ कि मर्यादा को तारतार करते हुए फिल्मी अश्लील गानों पर डांस करवाता है और ये भी बड़े पैमाने पर इस्लामिक प्रचारक का काम करता है।
हालाँकि अब इन संतो विरोध सोशल मिडिया पर जोड़तोड़ से हो रहा है ऐसे में महानिर्वाण पंचायती अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी चिंदंबरानन्द सरस्वती ने इन ढोंगियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। स्वामी जी एसवीएन टाइम्स से बात करते हुए कहा है इन ढोंगियों को व्यासपीठ से वहिष्कार किया जायेगा और पूरा संत समाज सामूहिक रूप से ऐसे संतो का निषेध करेंगे जो व्यासपीठ से किसी अन्य मजहब की बात करेगा।