मेरिका में सत्ता बदलाव से बड़ी उम्मीदें पाले चीन और पाकिस्तान को करारा झटका लगा है. अमेरिका में शपथ ग्रहण करने जा रहे जो बाइडेन प्रशासन ने साफ कर दिया है कि लद्दाख में भारतीय जमीन पर नजरें गड़ाए बैठे चीन के खिलाफ अमेरिकी सख्ती ट्रंप प्रशासन की तरह से ही जारी रहेगी. वहीं इस्लामिक आतंकवादियों को पालने वाले पाकिस्तान को भी बाइडेन प्रशासन ने लश्कर-ए-तैयबा और अन्य भारत विरोधी आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए आगाह किया है.
अमेरिका के भावी रक्षा मंत्री जनरल (अवकाश प्राप्त) लॉयड ऑस्टिन ने कहा है कि ह पाकिस्तान पर दबाव डालेंगे कि वो अपने देश को आतंकवादियों और कट्टरपंथियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह ना बनने दे. ऑस्टिन ने पद की शपथ लेने से पहले ही पाकिस्तान को आतंकवाद को लेकर सख्त संदेश दे दिया है. ऑस्टिन ने ‘सीनेट आर्म्ड सर्विसेज कमिटी’ के सामने कहा कि वह पाकिस्तान से कहेंगे कि वो हिंसक चरमपंथी संगठनों और आतंकवादियों को अपनी जमीन का इस्तेमाल ना करने दे.
ऑस्टिन ने पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई ना करने को लेकर भी असंतोष जाहिर किया. ऑस्टिन ने कहा, भारत विरोधी आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ पाकिस्तान की कार्रवाई अधूरी है. उन्होंने कहा कि साल 2019 में पुलवामा हमले के बाद से आतंकी हमलों में बढ़ोतरी की एक वजह ये भी है कि पाकिस्तान बहुत सहयोग नहीं कर रहा है.
ऑस्टिन ने भारत को लेकर कहा, ‘हम भारत के मुख्य रक्षा साझेदार बने रहेंगे और क्वैड के जरिए रक्षा सहयोग के दायरे को और बढ़ाएंगे.’ क्वैड में अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत शामिल हैं. उन्होंने कहा कि कहा कि मैं भारत का ‘प्रमुख रक्षा सहयोगी’ का दर्जा जारी रखूंगा और साझा हितों पर अमेरिकी एवं भारतीय सेना की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए रक्षा सहयोग को और मजबूत बनाने का प्रयास करूंगा. उन्होंने कहा कि वह क्वाड रक्षा वार्ता और अन्य क्षेत्रीय बहुपक्षीय भागीदारी से भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग को और प्रगाढ़ करने एवं व्यापकता देने का प्रयास करेंगे
लॉयड ऑस्टिन ने चीन को लेकर कहा है चीन) पहले ही क्षेत्रीय प्रभुत्वकारी ताकत है और मेरा मानना है कि उनका अब लक्ष्य नियंत्रणकारी विश्व शक्ति बनने का है. वह हमसे विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा करने के लिए काम कर रहे हैं और उनके प्रयास नाकाम करने के लिए पूरी सरकार को एक साथ मिल कर विश्वसनीय तरीके से काम करने की जरूरत होगी. हम चीन या किसी भी आक्रामक के समक्ष पुख्ता प्रतिरोधी क्षमता पेश करना जारी रखेंगे. उन्हें बताएंगे कि यह आक्रामकता सचमुच एक बुरा विचार है. चीन के बारे में ऑस्टिन ने कहा कि चीन मौजूदा समय में प्रभावी खतरा है क्योंकि वह उभार पर है जबकि रूस खतरा है लेकिन वह उतार पर है.